आत्म बल को जागृत करने की प्रेरणा दी है: आचार्य सुबल सागर जी महाराज
Acharya Subal Sagar Ji Maharaj
चंडीगढ़ Acharya Subal Sagar Ji Maharaj: श्री 1008 महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में चतुर्मास कर रहे सन्मति रत्न, प्रज्ञा श्रमण, युवा तपस्वी आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज ने अपने उपदेश में कहा कि आत्मा के अंदर अनंत शक्ति है हम उस शक्ति को न पहचानते हुए अज्ञानी बने हुए हैं। रत्नत्रय के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए शरीर की आवश्यकता नहीं होती अपेक्षाकृत आत्मबल से ही चर्या का पालन होता है। हमारी राग की भावना से राग बढ़ता है और वैराग्य की भावना से वैराग्य बढ़ता है अर्थात् संसार, शरीर और भोगों से आसक्ति के परिणाम दूर होते हैं।
आचार्य जी ने कहा कि भावना बनते ही मार्ग अपने आप बनने लग जाते हैं बस एक बार आत्मा के आत्मबल को जागृत / प्रकट करने की आवश्यकता है। इसलिए आचार्य महाराज उपदेश एक बार नहीं बार-बार दिया करते हैं कि कभी तो हमें हमारे अंदर में कमी नजर आने लगे और हमे समझा जाए अपना।
यह जानकारी श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।
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